सवर्ण एकता मंच ने प्रदेश संयोजक दिनेश डंडौतिया के नेतृत्व में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन तहसीलदार मुरैना को सौंपा। कार्यकर्ताओं ने तहसीलदार कार्यालय का घेराव किया और नारेबाजी की। डंडौतिया ने अधिकारियों को बताया = कि सर बीएन राव को कानून का गहरा ज्ञान था। – इसी कारण उन्हें 1946 में संविधान सभा का – सलाहकार बनाया गया। उन्होंने संविधान का प्रारूप
तैयार करने के लिए कई देशों की यात्रा की। 1949 से 1952 तक वे संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे। वे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहले भारतीय नागरिक थे, जिन्हें न्यायाधीश बनने का गौरव मिला। उन्होंने बिना वेतन और भत्ते के संविधान के प्रारूप निर्माण में अहम भूमिका निभाई। संगठन ने राष्ट्रपति से मांग की कि सर बीएन राव को संविधान निर्माता की उपाधि दी जाए। पूरे देश में सर्वोच्च स्थानों पर उनकी प्रतिमा लगाई जाए। उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जाए।
तैयार करने के लिए कई देशों की यात्रा की। 1949 से 1952 तक वे संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे। वे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहले भारतीय नागरिक थे, जिन्हें न्यायाधीश बनने का गौरव मिला। उन्होंने बिना वेतन और भत्ते के संविधान के प्रारूप निर्माण में अहम भूमिका निभाई। संगठन ने राष्ट्रपति से मांग की कि सर बीएन राव को संविधान निर्माता की उपाधि दी जाए। पूरे देश में सर्वोच्च स्थानों पर उनकी प्रतिमा लगाई जाए। उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जाए।