वीर सावरकर जी एक विरले स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही ओजस्वी लेखक भी थे।

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क्रांतिकारियों के मुकुटमणि वीर सावरकर जी का जीवन मातृभूमि के प्रति समर्पण की पराकाष्ठा का प्रतीक है। किसी के हृदय में राष्ट्र और मातृभूमि के प्रति भाव कितना गहरा हो सकता है, यह वीर सावरकर जी के जीवन से पता चलता है।

वीर सावरकर जी एक विरले स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही ओजस्वी लेखक भी थे। उन्होंने कई कालजाई रचनाएँ लिखीं। उनके द्वारा रचित अमर गीत ‘अनादी मी… अनंत मी…’ का हिंदी रूपांतरण सुनकर मन भाव-विह्वल हो गया। कल मुंबई में स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी के परिजनों को इस ओजस्वी गीत के सम्मान में महाराष्ट्र के संस्कृति विभाग की ओर से ‘छत्रपति संभाजी महाराज राज्य प्रेरणा गीत पुरस्कार 2025’ देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हिंदी रूपांतरण से यह गीत करोड़ों लोगों तक पहुँच पाएगा। इस गीत के गायक जयदीप वैद्य जी को मैं हृदय से बधाई देता हूँ।

वीर सावरकर जी के विचार और उनकी संघर्षगाथा अनंतकाल तक देशवासियों को मातृभूमि के प्रति अटूट समर्पण और त्याग की प्रेरणा देती रहेगी।

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